हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , मरजाए तक़लीद आयतुल्लाहिल उज़्मा नूरी हमदानी ने यह बात कही कि एतेकाफ़ व्यक्ति और समाज दोनों में आध्यात्मिक वातावरण को सुदृढ़ बनाता है और यह एक अत्यंत मूल्यवान अवसर है, जिसका सर्वोत्तम उपयोग किया जाना चाहिए।
उन्होंने एतेकाफ़ समिति के सदस्यों से मुलाक़ात के दौरान एतेकाफ़ के बढ़ते हुए रुझान पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि यह इबादत इंसान की आंतरिक सुधार के साथ-साथ सामूहिक आध्यात्मिकता के प्रसार का भी कारण बनती है।
उन्होंने इस्लामी क्रांति को आध्यात्मिक मूल्यों के प्रसार का एक महत्वपूर्ण फल बताते हुए कहा कि एतेकाफ़ फ़िक़्ही बहसों में पहले से मौजूद था, लेकिन समाज में व्यापक रूप से प्रचलित नहीं था और केवल कुछ ख़ास लोग ही इससे परिचित थे। हालांकि, इस्लामी क्रांति की बरकत से आम जनता, विशेषकर युवा पीढ़ी, इस आध्यात्मिक सुन्नत से परिचित हुई और आज बड़ी संख्या में लोग इस मुबारक अमल से लाभ उठा रहे हैं।
अंत में इस मरजा-ए-तक़लीद ने एतेकाफ़ के आयोजकों के प्रयासों की सराहना की और विशेष रूप से हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन तक़िया-ई का धन्यवाद किया, जबकि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन फ़ल्लाह ज़ादेह द्वारा एतेकाफ़ के फ़िक़्ही मसाइल पर प्रकाशित पुस्तकों को भी प्रशंसनीय क़रार दिया।

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